क्षमा करने का तात्पर्य किसी मायने में कायरता नहीं है|क्षमा वही व्यक्ति कर सकता है,जो समर्थ हो और सक्षम हो|जिस व्यक्ति में मनोभावों पर नियंत्रण करने,प्राणी मात्र को ईश्वर के विस्तृत परिवार का हिस्सा मानने की क्षमता नहीं होगी,जो स्वार्थो से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता के विकास की कामना नहीं करेगा, वह भला किसी को क्षमा कैसे करेगा?क्षमा करने के लिए मन की गांठे खुद सुलझानी पड़ती है |आपको जिसने दुःख पहुचाया है,उसे माफ़ करके तो देखिये,अवर्णनीय सुख मिलेगा|
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