LORD VISHNU LAXMI

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Tuesday, November 22, 2011

जग की भलाई में है अपना भला

प्रेम में घुल मिल जाना ही जीवन है|अब चूँकि यह सारा संसार ही प्रभु की रचना है,तो जीवन का आनंद भी उसकी रचना से प्रेम करने में है और यही इसकी अर्थवत्ता भी|इसे आस्था और आराधना के बिन्दुओ से जोड़कर देखें, तब भी मनुष्य मात्र से प्रेम सम्बन्ध रखना प्रभु के प्रति सच्चे मन से श्रद्धा का इज़हार कारण है\-अहा!जिन्दगी से साभार

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