मध्यवर्गीय घरों में दी गई नैतिक शिक्षाएं जीवन के वास्तविक क्षेत्र में अधूरी पड़ जाती हैं, क्योकि
जीवन की हजार शक्लें हैं|वह कोरे सिद्धांतों और शिक्षाओं से नहीं चलता, हाँ उन सिद्धांतों से जरुर चलता
है,जो प्रतिक्षण बदलते यथार्थ से समन्वित होते चलते है| नेकी और अच्छाई भी एक तरह का सिद्धांत है|
पर इन्हें जीवन के अनुभवों से पुष्ट करना आवश्यक है--इन्हें युगबोध से जोड़ना जरूरी है|नेक और अच्छे
लोगों की यही कठिनाई है कि समय के साथ सत्य के सम्बन्ध कि गतिशीलता को वे नहीं समझ पाते|
जब-जब समय और सत्य के सम्बन्ध को समझा गया है,जीवन नए सिरे से मुस्करा उठा है,सृजित
हुआ है और उसमें से नवनिर्माण के अंकुर फूटे है...और जीवन एक उत्सव बन गया है...आलोक श्रीवास्तव
जीवन की हजार शक्लें हैं|वह कोरे सिद्धांतों और शिक्षाओं से नहीं चलता, हाँ उन सिद्धांतों से जरुर चलता
है,जो प्रतिक्षण बदलते यथार्थ से समन्वित होते चलते है| नेकी और अच्छाई भी एक तरह का सिद्धांत है|
पर इन्हें जीवन के अनुभवों से पुष्ट करना आवश्यक है--इन्हें युगबोध से जोड़ना जरूरी है|नेक और अच्छे
लोगों की यही कठिनाई है कि समय के साथ सत्य के सम्बन्ध कि गतिशीलता को वे नहीं समझ पाते|
जब-जब समय और सत्य के सम्बन्ध को समझा गया है,जीवन नए सिरे से मुस्करा उठा है,सृजित
हुआ है और उसमें से नवनिर्माण के अंकुर फूटे है...और जीवन एक उत्सव बन गया है...आलोक श्रीवास्तव
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