LORD VISHNU LAXMI

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Thursday, December 15, 2011

अभिवादन-एक जीवंत संस्कार

अभिवादन भारतीय सनातन शिष्टाचार का महत्वपूर्ण अंग है|जिसने अभिवादन प्रणाम करने का व्रत ले लिया, समझना चाहिए कि उसमे नम्रता, विनय, शील, श्रद्धा,सेवा, अनन्यता, एवं शरणागति का भाव
स्वतः प्रविष्ट हो जाता है|अभिवादंशीलता  मानव का सर्वोत्तम सात्विक संस्कार है|मूलतः प्रणाम स्थूल
देह को नहीं अपितु अंतरात्मा में प्रतिष्ठित नारायण को ही किया जाता है| जो व्र्द्धजनों, गुरुजनों,तथा
माता-पिता को नित्य प्रणाम करता है,उनकी सेवा करता हैं-उसके आयु,विद्या,यश, और बल कि व्रद्धि
होती है|

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