LORD VISHNU LAXMI

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Monday, December 5, 2011

प्रेमपथ

प्रेम का पथ अनोखा है|इसमें किसी प्रकार का दिखावा या बाह्य प्रदर्शन नहीं है| प्रेम कहीं बिलकुल
मौन बना देता है और कहीं वाचाल बना देता है| प्रेम लेना जानता  ही नहीं , वह केवल देना जानता
है| जहाँ लेन देन है, व्यापार है, वहां प्रेम नहीं होता| प्रेम ही एक ऐसी अवस्था है, जहाँ भगवान मांगते
हैं|

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