LORD VISHNU LAXMI

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Thursday, December 1, 2011

प्रेम का स्थान ज्ञान से भी ऊँचा

किसी से भी किया गया नि:स्वार्थ प्रेम ज्ञान से भी ऊँचा होता है|वेद-पुराण तथा शास्त्रों के अध्ययन
के बाद भी व्यक्ति उस ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता,जो प्रेम शब्द को पढ़कर हासिल कर सकता है|
प्रेम हो तो मीरा,प्रहलाद और गौतम जैसा,जिसे आज भी लोग याद करते है---जैन मुनिश्री चिदानंद
विजय महाराज

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