LORD VISHNU LAXMI

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Saturday, December 31, 2011

नव वर्ष की शुभ कामना

नववर्ष की मंगल कामना| वैसे देखा जाये तो वर्ष बदलना सिर्फ अंक का खेल है २०११ में सिर्फ
१ अंक बदलेगा तो २०१२ हो जायेगा.इसी प्रकार जीवन भी अंकों से प्रभावित होता है, बस आवश्यकता है अंकों को समझने की.प्रत्येक अंक की प्रकृति अलग होती है और वह अपनी प्रकृति के अनुसार ही जीवन को प्रभावित करता है| २०१२ से एक शुभ अंक ५ बनता है जिसका सामंजस्य
अन्य अंकों के साथ अच्छी तरह हो जाता है| २०१२ शुभ हो, यही अभिलाषा है|

Saturday, December 24, 2011

एकाग्रता से पढ़ें ........................

पढाई करने के लिए एकाग्रता बहुत जरुरी है| कोई जरुरी नहीं कि आप परीक्षा के लिए घंटों पढ़ें|
एकाग्रता से पढाई करने से आप जो पढ़ते हैं,वो आपको कंठस्थ हो जायेगा और आप इसे जल्दी से भूलेगे नहीं| स्कूलों  में भी इन दिनों परीक्षा की तैयारियां करायी जाती  हैं, आप उन पढाई के सेशन
में ध्यान दें तो आपको अनेको महत्वपूर्ण सेशन भलीभांति समझ में आ जाएगी| इन दिनों सभी के पास
इतना समय नहीं होता कि पूरे अध्याय का सिलसिलेवार अध्ययन कर सकें, इसलिए विद्यार्थियों को चाहिए कि साल भर बनाये गये नोट्स कि मदद लें| शोर्ट नोट्स को एकाग्र होकर पढ़ें| सफलता आपके कदम चूमेगी|

Sunday, December 18, 2011

आत्मशक्ति के आगे कुछ भी असंभव नहीं

संसार में ऐसी कोई चीज नहीं, ऐसा कोई स्थान नहीं,ऐसी कोई विद्या नहीं,ऐसी कोई स्थिति नहीं--
जिसे तुम नहीं पा सकते |
आत्मशक्ति पर दृढ विश्वास करो,अडिग निश्चय करो|फिर देखो सफलता तुम्हारे चरणों पर लोटती है|
तुम्हारे मन की चीजें तुम्हारे पास आने में ही अपने जीवन को सफल मानतीं हैं|
तुम्हारी आत्मशक्ति के आगे कुछ भी असंभव नहीं है|

Thursday, December 15, 2011

अभिवादन-एक जीवंत संस्कार

अभिवादन भारतीय सनातन शिष्टाचार का महत्वपूर्ण अंग है|जिसने अभिवादन प्रणाम करने का व्रत ले लिया, समझना चाहिए कि उसमे नम्रता, विनय, शील, श्रद्धा,सेवा, अनन्यता, एवं शरणागति का भाव
स्वतः प्रविष्ट हो जाता है|अभिवादंशीलता  मानव का सर्वोत्तम सात्विक संस्कार है|मूलतः प्रणाम स्थूल
देह को नहीं अपितु अंतरात्मा में प्रतिष्ठित नारायण को ही किया जाता है| जो व्र्द्धजनों, गुरुजनों,तथा
माता-पिता को नित्य प्रणाम करता है,उनकी सेवा करता हैं-उसके आयु,विद्या,यश, और बल कि व्रद्धि
होती है|

श्री भगवान् क्या हैं?

श्री भगवान् मंगलमय,आनंदमय,एश्वर्यमय, ज्ञानमय, दयामय, प्रेममय,सोंदर्यमय,माधुर्यमय,और सामर्थ्यमय हैं| वे प्रत्येक प्राणी के स्वाभाविक ही सुहृद हैं| उनसे मांगना हो तो यही मांगना
चाहिए कि हे भगवन! तुम जो ठीक समझो मेरे लिए वाही विधान करो| तुम जो चाहो सो मुझे दो,
ऐसी शक्ति दो जिससे मेरे मन में कोई कामना ही न पैदा हो|

Sunday, December 11, 2011

अपना खुद का सपना होना

हर इन्सान अपने सपनो के संग आज़ाद हो| सपने किसी के काबू में न हों | वह सपना भी क्या सपना है,
जो हमने खुद न देखा|जाओ ढूंड लाओ अपना सपना| शायद वह तुम्हे दीवारों के भीतर न मिले,शायद
पहाड़ चढने पड़ें, दरिया उलान्घने हों , सात आकाश,सत्तर पाताल पार करने पड़ें, लेकिन सच हर मुश्किल
हर व्यक्ति , हर चीज से कीमती है-- आपका खुद का सपना होना............राहुल कुमार  

Saturday, December 10, 2011

सपने को साकार कीजिये.....................

जीवन सोंदर्य से ओत-प्रोत है| इसे देखिये तो सही| अपने काम में मगन मधुमख्खी को देखिये,
छोटे बच्चे के मुस्कराते चेहरे को देखिये, बारिश की सोंधी-सोंधी महक को महसूस कीजिये,
बहती बयार के स्पर्श को महसूस कीजिये| अपने जीवन को उसकी संभाव्यता तक जीने का
प्रयास कीजिये और अपने सपने को साकार करने के लिए तन-मन से जुटे रहिये...एश्लेस्मिथ

Friday, December 9, 2011

स्वप्न तुम सत्य हो..................

बंद पलकों के पीछे कई ख्वाब उभरते हैं|आँखें खुलते ही झट टूट जाते हैं ये सपने,तितली के परों सरीखे|ज्यों गुलाब की पंखुरी पर ओस की एक मोती-सी बूंद हो|किसी आशिक का दिल हो विरह
में तडफता हुआ| सपने क्या हैं? क्या ये बात सही है कि जिसकी जैसी सोच होती है, उसे वेसे ही स्वप्न आते हैं| क्या इनका रिश्ता होता है अतीत, पिछले जन्म और भविष्य से?सपनो कि अनगिनत
कहानियां हैं और वेसे ही तो हैं रंग-बिरंगे स्वप्न|.....................वैभव कुमार

Tuesday, December 6, 2011

जैसा चिंतन वैसा प्रवाह

मनुष्य जैसा चिंतन करता है,सोचता है, उससे वैसी ही क्रिया होने लगती है और वह क्रमशः वैसे
ही वातावरण से घिर जाता है| इसीलिए अनेकानेक विचारको ने निष्कर्ष दिए है की आप हमेशा
अच्छा और सकारात्मक सोचें जिससे की आपके चारों ओर का वातावरण खुशहाल बना रहे
और आप अपनी मंजिल की तरफ लगातार बढ़ते रहे|

Monday, December 5, 2011

प्रेमपथ

प्रेम का पथ अनोखा है|इसमें किसी प्रकार का दिखावा या बाह्य प्रदर्शन नहीं है| प्रेम कहीं बिलकुल
मौन बना देता है और कहीं वाचाल बना देता है| प्रेम लेना जानता  ही नहीं , वह केवल देना जानता
है| जहाँ लेन देन है, व्यापार है, वहां प्रेम नहीं होता| प्रेम ही एक ऐसी अवस्था है, जहाँ भगवान मांगते
हैं|

Thursday, December 1, 2011

प्रेम का स्थान ज्ञान से भी ऊँचा

किसी से भी किया गया नि:स्वार्थ प्रेम ज्ञान से भी ऊँचा होता है|वेद-पुराण तथा शास्त्रों के अध्ययन
के बाद भी व्यक्ति उस ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता,जो प्रेम शब्द को पढ़कर हासिल कर सकता है|
प्रेम हो तो मीरा,प्रहलाद और गौतम जैसा,जिसे आज भी लोग याद करते है---जैन मुनिश्री चिदानंद
विजय महाराज