जीवन एक शब्द नहीं है| यह एक वाक्य है| इसे आजीवन कारावास मत बना लीजिये| जीवन जीने का अर्थ है जुड़ना,सम्बंधित होना| प्रत्येक सम्बन्ध के तीन पहलू हैं, सम्बन्ध बनाने वाला, सम्बंधित, सम्बन्ध | जब कोई सम्बन्ध समाप्त होता है, तो जीवन भी समरस होता है,वर्ना इसके विपरीत होता है|समरस होने की कला हमें धर्म सिखाती है -- स्वामी सुखबोधानन्द जी महाराज
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