अच्छी स्थिति में भी भगवान् पर भरोसा नहीं होता तब साधन की शिथिलता में तो हो ही कहाँ से,परन्तु अब ज्यादा निराशा नहीं होती|
सो भगवान् पर भरोसा तो अच्छी-बुरी सभी स्थितियों में रखना चाहिए
इसके सिवा और सहारा ही क्या है?बलवान और निर्बल --सभी के बल
एक भगवान् ही हैं , परन्तु अपने को वास्तव में निर्बल मानकर भगवान्
के बल पर भरोसा रखने वाले का बल तो भगवान् हैं , इस भगवान् के बल
को पाकर वह अति निर्बल भी महान बलवान हो सकता है |
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