पल भर में ज्ञान व उसे हासिल करने का जरिया पुराना हो जाता है और उसका नया रूप जो
हमें देखने को मिलता है,वह प्राचीन को शामिल तो करता है, लेकिन अपने बाहरी स्वरूप में बिलकुल
अर्वाचीन रहता है।आज का ज्ञान मानव सभ्यता के हजारो साल से जमा होते ज्ञान के साथ इस जमाने की जरूरतों का आविर्भाव भी है...............देवाशीष प्रसून
हमें देखने को मिलता है,वह प्राचीन को शामिल तो करता है, लेकिन अपने बाहरी स्वरूप में बिलकुल
अर्वाचीन रहता है।आज का ज्ञान मानव सभ्यता के हजारो साल से जमा होते ज्ञान के साथ इस जमाने की जरूरतों का आविर्भाव भी है...............देवाशीष प्रसून
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