LORD VISHNU LAXMI

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Friday, February 3, 2012

पारे जैसा तरल भाव

किसी का गरम सामान्य और ठंडा होना उसके अलग-अलग रूप हैं और पारा इन अलग-अलग रूपं से सामंजस्य के लिए अपनी तरलता में बदलाव लता रहता है।ठीक इसी तरह मनोविज्ञान भी कम करता है। साहस, भय, क्रोध,दया प्रेम आदि मनोभावों का मूलभाव है-अपने अस्तित्व की रक्षा करने
का प्रयास करना और इसी प्रयास में कोई कायर निकल जाता है तो कोई साहसी.....देवाशीष प्रसून

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