किसी का गरम सामान्य और ठंडा होना उसके अलग-अलग रूप हैं और पारा इन अलग-अलग रूपं से सामंजस्य के लिए अपनी तरलता में बदलाव लता रहता है।ठीक इसी तरह मनोविज्ञान भी कम करता है। साहस, भय, क्रोध,दया प्रेम आदि मनोभावों का मूलभाव है-अपने अस्तित्व की रक्षा करने
का प्रयास करना और इसी प्रयास में कोई कायर निकल जाता है तो कोई साहसी.....देवाशीष प्रसून
का प्रयास करना और इसी प्रयास में कोई कायर निकल जाता है तो कोई साहसी.....देवाशीष प्रसून
No comments:
Post a Comment