कुछ पाकर कुछ खो देने का डर, कुछ ना पा सकने का भय, जिन्दगी के पटरी से उतर जाने की
चिंता.....इन्हीं छोटे-छोटे दरों से घिरी रहती है जिन्दगी,लेकिन जिस वक़्त हम ठान लेते हैं......कुछ
नया करना है,तभी जन्म लेता है साहस| और फिर कदम कभी नहीं रुकते|मंजिलों तक ले जाता है सिर्फ साहस| कोई भी संकल्प होंसले के बिना नहीं पूरा होता...............जय कुमार
चिंता.....इन्हीं छोटे-छोटे दरों से घिरी रहती है जिन्दगी,लेकिन जिस वक़्त हम ठान लेते हैं......कुछ
नया करना है,तभी जन्म लेता है साहस| और फिर कदम कभी नहीं रुकते|मंजिलों तक ले जाता है सिर्फ साहस| कोई भी संकल्प होंसले के बिना नहीं पूरा होता...............जय कुमार
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