LORD VISHNU LAXMI

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Sunday, July 1, 2012

स्त्री स्वयं एक कला है

स्त्री है  तो दुनिया में श्रंगार बचा है ,प्रेम का भाव बचा है ,घृणा सर नहीं उठा पाती ,फिर भी अफ़सोस ...............
भ्रूण -हत्याएं बढती जा रही हैं ।सवाल बस इतना है  कि  हम  जीवन जीना चाहते हैं ? कैसी कुदरत चाहते हैं
जो स्त्री के बिना सोची जा रही है ,मागी जा रही है , हमारे द्वारा इच्छित है ? .............अमिताभ